बचपन में डकैती तथा छिनैती की बहुत सारी सच्ची कहानियां सुना था...
वो अलग बात है कि सुनाने वाला उसमें “मिर्च मसाला” लगाकर सुनाता था...
ऐसा लगता था गांव की ओर आने वाले हर रास्ते पर कुछ लोग छिनैती करते हैं...
मैं कई बार उन रास्ते से अकेले आया गया, पर मुझे कोई नहीं मिला..... लेकिन......
बात कुछ दिन पहले की है...
हम और हमारे कुछ साथी “काशी भ्रमण” का प्लान बनाएं..
हम लोग प्रयागराज से बनारस के लिए सुबह 4:00 बजे निकल गए...
दो बाइक थी और हम लोग चार थे..
रास्ते में हंसी मजाक करते हुए तथा रुक रुक के चाय की चुस्की लेते हुए हम लोग 7:00 बजे तक बनारस पहुंच गए... गंगा स्नान किये.... विश्वनाथ जी का दर्शन किये... फिर काल भैरव का दर्शन किये... फिर भोजन करने के बाद सारनाथ के लिए निकले....
सारनाथ घूमते घूमते हम लोगों को शाम के पांच बज गए ... वापस आते समय दशाश्वमेध घाट पर हम लोग गंगा आरती देखें.... फिर वापस प्रयागराज की ओर निकल लिए....
शहर से बाहर निकलते निकलते 10:00 बज गए थे तभी प्लान बना कि विंध्याचल होकर प्रयागराज चला जाए.... एक बाइक पर मैं और आनंद तथा दूसरी बाइक पर अनुराग और सत्यम भैया बैठे थे...
जब हम लोग की बाई औराई से विंध्याचल की रास्ते पर गए तो आनंद ने डकैती और छिनैती की कहानी सुनाने लगा.....
रात के 11:30 बज रहे थे.. मैं भी बहुत मजे से उसकी बातें सुन रहा था.. एकदम सुनसान रास्ता.... लग रहा था कि पूरे इलाके में हम लोगों के अलावा और कोई नहीं है...
आनंद की कहानी सुनते सुनते हम लोग रात 12:00 बजे विंध्याचल देवी के दरबार में पहुंचे.... वहां हम लोगों ने देवी का झांकी दर्शन किया......
वहां से निकलते निकलते रात की 1:00 बज गए थे.. विंध्याचल मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर एक पुलिस बूथ था.. वहां तक हम लोग साथ ही थे उसके बाद आनंद ने बाइक की स्पीड बढ़ा दी और हम लोग आगे निकल लिए.... लगभग 2 किलोमीटर आगे चलने पर बाइक की स्पीड 80+था..
एकदम सुनसान रास्ता..... रास्ते के दोनों और जंगल तथा झाड़ियां थी.....झींगुर की आवाज तेजी से सुनाई दे रही थी...
अचानक 100 मीटर की दूरी पर कुछ लोग दिखे.. आनंद बाइक धीमे कर दीया और 50 मीटर की दूरी पर बाइक रोक दिया.. वो लगभग 20 से 25 लोग थे.. कोई हाफ पेंट तो कोई केवल लूंगी लपेटा हुआ था...सरीर के ऊपर वाले हिस्से में कोई कपड़ा नहीं था.. कोई कोई बनियान पहने हुवे थे...
सबके हाथ में डंडे थे..... और कुछ लोग पूरे रास्ते पर खड़े हुए थे.... उसमें से कुछ लोग हम लोगों की ओर बढ़ने लगे....... तभी भीड़ में से एक आवाज आई
इधर आ इधर आ......
हम आनंद से बोले बाइक घुमा.... घुमा जल्दी....
आनंद बाइक घुमाने लगा...तभी उसमें से दो चार लोग हम लोग के पीछे दौड़े......
उसमें से एक बोला..... पकड़.... पकड़..... पकड़.... पकड़...
आनंद बाइक की स्पीड बढ़ाता गया और हम लोग वहां से निकल लिए....
हम लोग तेजी से वापस 500 मीटर आए होंगे कि अनुराग और सत्यम भैया दिख गए...... हम लोगों को देखकर उन्होंने भी बाइक रोक दी... हम लोग जल्दी से उन्हें घूमने के लिए बोले और वो लोग भी बाइक घुमा लिए...... तभी एक लोग और बाइक से आते हुए दिखे और हम लोग को रुकवाने लगे... रुको.... रुको.... रुको....
लेकिन हम लोग वहां से भाग लिए....
विंध्याचल देवी के मंदिर से कुछ दूर पहले पुलिस स्टेशन था... वहां हम लोग गए और अपनी पूरी बात बताएं....
पुलिस वाले हमारी बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे थे....
कोई कह रहा था कि “नहीं अब ऐसा नहीं होता है”....
तो कोई कह रहा था कि “दूसरे रास्ते से चले जाओ”.....
काफी देर बातचीत होने के बाद एक पुलिस वाले भाई ने कहा कि आप लोग जाइये और हमारा नंबर लीजिए.... कोई दिक्कत होता है तो तुरंत कॉल करें......
मैं मन ही मन सोच रहा था कि “कुछ होने के बाद कॉल कैसे करेंगे”....
एक पुलिस वाले ने किसी को फोन लगाया और पूरी बात बताइ...
तभी एक पुलिस वाले ने काफी गंभीर बात कही......
“यहां से फोन चला गया है आप लोग निश्चिंत होकर जाइए अब कुछ नहीं होगा”
बात की गंभीरता को समझते हुए हम लोग वहां से चले.......
बाइक की स्पीड और तेज कर लिए कुछ ही देर में हम लोग हाईवे पर आ गए....
और फिर आनंद, डकैती और छिनैती की कहानी सुनाना शुरू कर दिया...... हम भी मजे से उसकी कहानी सुनने लगे.....
लगभग 4:00 बजे हम प्रयागराज पहुंच गए।
(बाल बाल बचे)
अभिषेक तिवारी